Monday, September 23, 2013

An Eve

वो कसती वो किनारा वो रेत का आशियाना हमारा,
याद है मुझे आज भी वो पल सुहाना,
वो सूरज की किरणों में चमचमाता चेहरा तुम्हारा,
याद है मुझे आज भी वो शाम हमारा।

वक़्त बिता लम्हा बिता बीती सब बाते पुराणी,
याद है आज भी मुझे सारी हसीन बाते हमारी,
आज भी भर आती है निगाहे मेरी,
याद जब आता है वो साथ तुम्हारा।

फिर लौटेगी वो शाम, होगी वही कसती वही किनारा,
वो सूरज की मीठी किरणों वाला शाम हमारा,
सिर्फ याद बन के न रहेगा जीवन हमारा,
लौट आयेगा वो बिता वक़्त पुराना।

No comments:

Post a Comment